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कब तक बचोगो पाकिस्तान……: कुशलेन्द्र श्रीवास्तव

                                                                                                                

राजनीतिक सफरनामा

बच गया पाकिस्तान, लगता है उसकी किस्तम ही अच्छी थी, वरना अब तक तो वहां तिरंगा लहरा रहा होता । हम तो पूरी तरह तैयार भी थे आम लोगों ने भी मानसिकता बना ली थी कि रोज-रोज की झंझट से अच्छा है कि एक बार में ही निपटा लो । हम भारतवासी तो ऐसा ही सोचते हैं और जब सोच लेते हैं तो वैसा हो जाए इसकी दुआ भी करने लगते हैं । पहलगाम में जिस तरह की घटना को अंजाम दिया गया उसको भूल पाना किसी के भी बस की बात नहीं है, वह तो हर समय पीड़ा देता ही रहेगा और इस घटना ने ही हमारी मानसिकता को मजबूत किया था हम युद्ध के लिए तैयार थे, हम कुछ दिनों की परेशानियों को झेलने के लिए तैयार थे, हम अपनी जान जोखिम में डालने भी तैयार थे । दांत पीसते हुए हमारी सेना ने पाकिस्तान के अंदर घुस कर आक्रमण किया, केवल पच्चीस मिनिट में वहां के नौ ठिकानों को बरबाद कर दिया । इन ठिकानों में पलते-बसते थे आतंकवादी । सारे मारे गए और हर भारतवासी खुशी से झूम गया । वैसे तो हमारे संस्कार नहीं है कि हम किसी की मौत पर खुशी मनाएं पर जो मारे गए वे इंसान थे ही कहां तो खुशी तो मनाई ही जानी चाहिए । फिर युद्ध जैसा कुछ समझ मे आने लगा । पाकिस्तान कच्चे ड्रोन भेजकर हमें भयभीत करने की असफल कोशिश करता रहा और हम इन ड्रोनों को बच्चों के खेलने वाले खिलौना समझकर उन्हें नष्ट करते रहे । हताश पाकिस्तान था और गर्व से सीना फुलाए हर भारतवासी था । हर एक मन में अभिलाषा जाग चुकी थी कि पाकिस्तान का नामोनिशां मिटने वाला है । मिट भी जाना चाहिए था । हमारे ही रहमोकरम पर पलता रहा यह छुटभैया जैसा देश हमें ही आंखे दिखा रहा था । वहां के मंत्री कोपते हुए धमकी दे रहे थे वे जानते थे कि वायरल फीवर की उपचार तो हो सकता है पर भारत के काटे का उपचार नहीं हो सकता । चीन ने पाकिस्तान की पीठ थपथपाई, तुर्की ने पाकिस्तान की पीठ थपथपाई और भी कुछ देशों ने पीठ थपथपाई पर कांप तो पीठ थपथपाने वाले भी रहे थे । भारत कमजोर देश नहीं है, कल भी नहीं था और आज भी नहीं है । कल तो आज के जैसे आधुनकि हथियार भी नहीं थे हमारे पास फिर भी पाकिसतान को दो फांक कर दिया था आज तो हमारे पास वो हाथियार हैं जिन्हें केवल संकेत देना होता है औ वे लक्ष्य भेदन कर आते हैं । हमने अपनी सैन्य क्षमता को सदैव सर्वोपरी रखा है, हमने अपने सैनिकों को अपडेट रखा है, हमने हथियारों को कम नहीं होने दिया है और अब तो हम स्वंय ही हथियार बना रहे हें । एक से बढ़कर एक हथियार जिकनी मारक क्षमता का लोहा विश्व के अन्य हथियार निर्यातक देश भी मानते हैं । तो हम तो संम्पन्न हैं और हमारे सैनिक भी सक्षम हें, उनकी रगों में देश भक्ति का खून बह रहा है, वे निडर हैं, वे दंबग हैं और वे तैयार हैं हर पल । सैनिकों ने अपने सारे कार्यक्रमों को त्याग दिया, किसी की शादी थी, किसी की मॉ अस्वस्थ्य थीं, किसी की बीबी प्रेगनेन्ट थी, सारा मोह खत्म कर वे आ खड़े हुए सीमा पर और दोगुने उत्साह से कूद पड़े जंग पर । भारतवासी इन सैनिको पर गर्व करता है और सेनिक भी भारत माता के आंचल को महत्वपूर्ण मानता है  । पाकिसतान को नष्ट होने में कुछ ही देर बची थी कि सीजफायर की घोषणा हो गई । कूटनीतिक स्तर पर इसके कुछ मायने होगें, कुछ न कुछ अनुबंध होगें पर भारतवासी इससे निराश अवश्य हुआ है । देश के फैसले पर उंगली तो नहीं उठाई जा सकती पर अपनी निराशा तो व्यक्त की ही जा सकती है । कुछ न कुछ तो सोचा होगा प्रधानमंत्री जी ने, कुछ न कुछ तो बात होगी इस फैसले में पर । हम इसकी समीक्षा नहीं कर सकते और न ही करना भी चाहिए । युद्ध को विश्व के परिपेक्ष्य में देखा जाता है, युद्ध को देशवासियों की आर्थिक, सामाजिक स्थिति के परिपेक्ष्य में भी देखा जाता है, इसके दूरगामी प्रभाव पर भी चिन्तन किया जाता है । संभवतः ऐसा ही कुछ होगा पर इस सीजफायर ने पाकिस्तान तो बच गया इस बार । इस बार तो तय था कि पाकिस्तान की राजधानी पर तिरंगा लहरायेगा, झुंझलाहट इसी वजह से महसूस की हर भारतीय ने, फैसले से असहमति भी इसके कारण ही प्रकट की भारतवासियों ने । पाकिस्तान बच गया, कोई नहीं चाहता था कि वो बचे । किस्मत अच्छी थी वरना अब तक तो बड़ी-बड़ी बातें करने वाले पाकिस्तानी जान की गुहार लगाते दिखाई देते । हर भारतवासी के मन में है कि पाकिस्तान ने जिस कश्मीर पर अनाधिकृत रूप से कब्जा करके रखा है उसे भारत के नक्शे में शामिल कर लिया जाए इस बार तो लग रहा था कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर अब हमारे पास होगा, खुद वहां के निवासी चाह रहे हैं कि उन्हें पाकिस्तान से मुक्ति दिलाई जाए, पर वो भी  नहीं हो पाया । अमेरिका के राष्ट्रपति ने ही तो ट्वीट कर सारे विश्व को बताया और यह जताने का प्रयास किया कि उन्होने इसमें मुख्य भूमिका निभाई है । राष्ट्रपति टं्रप की कार्यशैली जो जो लोग परिचित हे वे इसे उनका बड़बोलापन भी मानते हैं । पर उनके एक वाक्य ने सभी को अचंभित कर दिया कि वो कश्मीर समस्या को हल करने में मध्यस्था करने को तैयार हैं । कश्मीर की कोई समस्या है ही नहीं समस्या तो पाक के कब्जे वाले कश्मीर की है यदि अमंरिकी राष्ट्रपति पाक से कश्मीर का कब्जा अलग करवा कर उसे भारत को सौंप दें तो मान लिया जाएगा कि वे बहुत अच्छे राजनेता हैं बाकी कश्मीर का राग वे न ही अलापें, यह किसी भी भारतीय को अच्छा नहीं लगेगा । भारत सरकार ने भी उनकी बात को खारिज कर दिया है । भारत कभी भी अपनी समस्याओं में किसी और के हस्ताक्षेप को बर्दाश्त नहीं करता, वो तो स्वंय ही बहुत सक्षम है पाकिस्तान से निपटने में भी वो सक्षम है इसलिए ही तो पाकिसतान रोता हुआ, यहां-वहां खुद को बचा लेने की गुहार लगता है । पर अब पाकिस्तान का यह खले लम्बा नहीं चलने वाला । हर एक पाकिस्तानियों को समझ लेना चाहिए कि उनके दिन इने-गिने रह गए हैं । उनका नाश भारत के हाथों ही होना है और भारत ने इसकी तैयारी कर भी ली है ।

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