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सामाजिक समस्याओं में उलझने की हमारी कोशिश जारी है……

पंकज सीबी मिश्रा  / राजनीतिक विश्लेषक एवं पत्रकार जौनपुर यूपी

           मनुष्य कशेरुकी समूह का रीढ़युक्त प्राणी है। मानव व्यवहार को समझना स्वयं मानव के वश में नहीं। हमारे  जीवन में जीवविज्ञान का कोई अस्तित्व नहीं केवल हम  विभाजन में विश्ववास रखते है। हमें समाज में सामाजिक प्राणी कहा भर जाता है क्योंकि हमारे  पास रीढ़ होती है  ताकि खड़ा हो सके सीधा तन के चल सके, बैठ सके और अपने अन्य काम सुविधा के साथ कर सके लेकिन आजकल देखा जा रहा है कि हमारी रीढ तो है लेकिन फिर भी हम रीढ़ विहीन होते जा रहे हैं क्योंकि हमारा पेट बड़ा होता जा रहा है और उस पेट में बस खाते जा रहे हैं,रखते जा रहे हैं जिसमें चाहे खाना हो या चाहे रुपया पैसा संपत्ति बनाते जा रहे । एक और तंत्र जो कि हमारे समाज की धुरी कहलाता है वह है लोकतंत्र जिसमें ना लोक है ना तंत्र। जो ना तो राजनीति है और न ही प्रशासनिक जिम्मेदारी लेकिन आम जनता पर उसकी तेज पकड़ है।  आज हमारे समाज को नेताओं नें रीढ़ विहीन कर दिया है। हर एक क्षेत्र देखें जैसे की सबसे आवश्यक शिक्षा जो की पूरी तरह से रीढ़ विहीन हो गई है आज सबसे ज्यादा मेहनत से कमाए हुए रुपया माता-पिता का खर्च हो रहा है शिक्षा पर लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं मात्र एक डिग्री सर्टिफिकेट के अलावा क्योंकि हमारे बच्चों को ना तो नौकरी मिलेगी ना रोजगार। करोड़ों कमाने वाले नेताओं को ना  ढंग से लिखना आता है ,ना ही बोलना और ना पढ़ना । दूसरा रीढ़ विहीन पत्रकारिता जिसमें वही लिखा जाता है और वही बोला जाता है जिससे आमदनी हो और पूंजी इकट्ठी हो और हम लग्जरी खरीद सके कई सारे प्लॉट ,मकान खरीद सके और बैंक बैलेंस मजबूत कर सकें। हमारा खाद्यान्न उत्पादन जो की पूरी तरह है रीड विहीन हो चुका है क्योंकि उसमें जहरीले तत्वों को डाला जा रहा है उत्पादन के समय इस जहरीलेपन से लोगों के पेट नहीं भरते तो दवाई इंजेक्शन के द्वारा फल सब्जियों को अनाजों को प्रदूषित किया जा रहा है और आम जनता को डाक्टरों, कैमिस्ट के द्वारा लुटने और नोचने के लिए छोड़ा जा रहा है।

                सबसे अधिक सेवा का भाव रखने वाला क्षेत्र चिकित्सा क्षेत्र जो आज लूटपाट केंद्र बना हुआ है। भले ही आम जनता मरती है तो मरती रहे ।अंगों की चोरी , नकली दवाई इंजेक्शन, घटिया उपकरणऔर भी न जाने कितने गैरकानूनी काम। डॉक्टर को शायद फरिश्ता कहा जाता है इस धरती का लेकिन वह तो सबसे बड़ा राक्षस बन चुका है जो की शराफत का चोला ओढ़े हुए हैं । देश का इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने वाला इंजीनियर और ठेकेदार जो की अरबों खरबों की ठेके लेते हैं और कुछ ही समय में उनके निर्माण टूट जाते हैं धराशाही हो जाते हैं क्योंकि उनमें अनंत कमीशन खोरी की जाती है ताकि हमारे सामान्य नेताओं से लेकर मजबूत प्रशासन के अधिकारियों को पेट भर के खजाना लुटाया जा सके यहां भी आम जनता मरती है तो मारती रहे उसे क्या ?  नेता कंपनियों से भी लेते है उधर प्रशासनिक अधिकारी और कर्मचारी जिनका उद्देश्य एकमात्र आमदनी करना है क्योंकि उन्होंने बड़ी संघर्षों से पढ़ाई की है और नौकरी पाई है ताकि वह अपने लिए और अपने कई पीढियां के लिए रूपयों को इकट्ठा कर सके और लार्जन देन लाइफ को जी सके और अपना जीवन पूरी लग्जरी का उपयोग कर सके जो कि नित्य नए रूप में रोज आती है इनका तो जैसे पेट ही नहीं भरता आम जनता से भी गिद्ध बनकर नोचते है और नेताओं कंपनियों से भी लेते हैं। सबसे ज्यादा रीढ़ विहीन तो हमारा लोकतंत्र और उससे जुड़ी संस्थाएं एवं व्यक्ति नेताजी से लेकर छूटभैया नेता भी आज लाखों करोड़ों अरबों खरबों रुपए का मालिक है। कुछ लोग तो अकूत संपत्ति की गिनी ही नहीं जा सकती हैं इसके मालिक बने फिरते हैं क्योंकि उसने चुनाव जीतने के लिए कुछ लाख करोड रुपए खर्च करें लेकिन वह उसे हजारों लाखों गुना बसूलना चाहता है । लेकिन यह महाशय आते हैं कि हम देश का विकास करेंगे आम जनता की समस्याओं को हल करेंगे किंतु वह देश की सेवा जो कर रहे है मुफ्त में थोड़ी करेंगे क्योंकि उसका पेट सबसे बड़ा है आखिर वह प्रशासनिक अधिकारी और नेताजी जो है ।अगर वह इतनी गैर कानूनी रूप से कमाई नहीं करेगा तो उसकी समाज में वैल्यू ही क्या हो जाएगी ! आखिर हम किस समाज को बना रहे हैं और किस समाज की भविष्य में कल्पना कर रहे हैं जरूर सोचिएगा और कोशिश करें कि हम सचमुच रीढ़ युक्त बने जो कि मनुष्य होने की एकमात्र पहचान है ताकि हमारा भविष्य और वर्तमान सुदृढ़ और स्थाई बन सके।

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