खोजना है तो सिर्फ आनंद की खोज कर,
संसार में स्वयं को आडंबर से अलग रख।
झूठी प्रतिष्ठा के पीछे नहीं भाग अधिक,
बहुत कुछ करना है पास में है थोड़ा वक्त।
लोग उलझायेंगे किन्तु रहना है सावधान,
धैर्यऔर विवेक से मंजिल तक पहुंचना है।
आदमी के लिए कोई काम असंभव नहीं,
दृढ़-संकल्प के साथ लक्ष्यभेद करना है।
आनंद के मार्ग का अवरोध है अहंकार,
द्वेष उसकोऔर मजबूती प्रदान करता है।
दंभी को लोभ समझाता है घबराना नहीं,
जो घबरा जाता है,वही पराजित होता है।
अहंकार का शिकार जो यहां होता नहीं,
सद्बुद्धि के साथ जो शुभ कर्म करता है।
वैसे ही कर्मयोगी को इस भरी दुनिया में,
आनंद से भरा प्याला पीने को मिलता है।
डॉक्टर सुधीर सिंह