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नववर्ष  2025

नववर्ष आ गया…….

नववर्ष आ गया ,

नवफूल मुस्कुराए ।

कलियाँ खिली दिलों मे,

खुशियों के चमन में।

इरादे बदल गये हैं,

ख्वाहिश नई जगी है ।

रेतों के परिन्दे ,

हरियाली में मुस्कुराए।

मंजिलों के नए सपने ,

जन्म   ले   रहे   हैं  ।

इरादे बुलंद देखो,

मन में खिल रहे हैं ।

छोटे से बड़े तक ,

सब में उल्लास देखो ।

कर्तव्य गढ़ रहे हैं ,

नवकर्म गढ़ रहे हैं।

सत्कर्म के संकल्प अब,

मन  में  पल  रहे   हैं  ।

आकाश तक की मंजिल,

पाने  को अड़  रहे  हैं   ।

न कर्म ही गलत हो ,

मंजिल भी मिलती जाए ।

नैराश्य का बादल  ,

छँटता सा दिख रहा है ।

नव वर्ष आ गया है ,

नव फूल मुस्कुराए  ।

न गम न कोई उलझन,

हर्षित से फिर रहे हैं ।

उल्लास का सवेरा ,

नव रंग  भर  रहा  है ।

जीवन का सफर अब ,

आसान दिख रहा है ।

 डॉ सरला सिंह “स्निग्धा”

  दिल्ली

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