नववर्ष आ गया…….
नववर्ष आ गया ,
नवफूल मुस्कुराए ।
कलियाँ खिली दिलों मे,
खुशियों के चमन में।
इरादे बदल गये हैं,
ख्वाहिश नई जगी है ।
रेतों के परिन्दे ,
हरियाली में मुस्कुराए।
मंजिलों के नए सपने ,
जन्म ले रहे हैं ।
इरादे बुलंद देखो,
मन में खिल रहे हैं ।
छोटे से बड़े तक ,
सब में उल्लास देखो ।
कर्तव्य गढ़ रहे हैं ,
नवकर्म गढ़ रहे हैं।
सत्कर्म के संकल्प अब,
मन में पल रहे हैं ।
आकाश तक की मंजिल,
पाने को अड़ रहे हैं ।
न कर्म ही गलत हो ,
मंजिल भी मिलती जाए ।
नैराश्य का बादल ,
छँटता सा दिख रहा है ।
नव वर्ष आ गया है ,
नव फूल मुस्कुराए ।
न गम न कोई उलझन,
हर्षित से फिर रहे हैं ।
उल्लास का सवेरा ,
नव रंग भर रहा है ।
जीवन का सफर अब ,
आसान दिख रहा है ।
डॉ सरला सिंह “स्निग्धा”
दिल्ली