सेना का है शौर्य निराला, जांँबाजों की टोली है।
आती जब भी बात देश की,चले खून की होली है।
दुश्मन थर-थर कांँपे इनसे, बदला लेते हैं पूरा।
जिसने भी छेड़ा है इनको, बना दिया उनका चूरा।
बहनों का सिन्दुर है छीना,दुश्मन वह कितना पापी।
सेना ने पीटा घर घुसकर, दुनिया ही उसकी नापी।।
ऑपरेशन सिन्दुर चलाया, जाकर जमकर है कूटा।
तड़प रहा है दया हेतु वह, विष का था रोपा बूटा।
सौ सौ आतंकी को मारा, तितर-बितर कर डाला है।
सिर धुन खुद रोते हैं पापी, जिसने राक्षस पाला है।
करें संधि की बात आज वे, सेना से थर्राया है।
करनी का फल दुश्मन को,उसको खूब चखाया है।।
डॉ सरला सिंह “स्निग्धा”
दिल्ली