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पीड़ा : वंदना भार्गव

सबने तुझको ठुकराई है ।

जब तू पास मेरे आई है ।।

आजा तुझको गले लगा कर।

पीड़ा आज पुरस्कृत  कर दू।।

साथी पाने की चाहत में ।

घूम रही क्यों सबके पीछे।।

तुझसे भाग रहा जग सारा ।

 आ तुझमें आकर्षण भर दूं।।

अरी तिरस्कत ओ दुखियारी ।

आजा मेरी राज दुलारी ।।

तेरी व्याकुलता को हर कर ।

तुझमें प्रेम सुधा रस भर दूं ।।

आजा मेरी प्राण प्यारी ।

घूम रही क्यों मारी मारी ।।

तेरे मन का तिमिर मिटा कर ।

तुझमें आज दिवाकर भर दूं ‌।।

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