सर्वप्रथम आप सभी को आगामी पखवाड़े में पड़ने वाले त्यौहारों के लिए बधाई एवं अनन्त शुभकामना। दीपावली का दीप जगे आप सभी के घर में मन में, श्रीकृष्ण का ज्ञान मिले’ श्री गोवर्धन जी ‘ की पूजा के साथ और भाई-बहन के पचित्र प्रेम बंधन का प्रतीक भैयादूज पर्व के साथ भाई बहने का प्यार-सम्मान सुदृढ़ हो, आध्यात्मिक भौतिक उन्नति सभी प्राप्त करें, ऐसी मेरी शुभकामना है।
क्यों न हम इन त्यौहारों के आध्यात्मिक व्यवहारिक पक्ष की समझने का प्रयास करें और अपने जीवन में आत्मसात करें, जिससे सभी का भला होगा।
दीपावली : “अंधकार से प्रकाश की ओर”
दीपावली का मूल भाव है अंधकार पर प्रकाश की विजय चाहे वह अज्ञान का अंधकार हो या अन्याय का। यह त्यौहार मनुष्य के भीतर बसे आश्शा और जागृति के दीप जलाने का प्रतीक है। आध्यात्मिक दृष्टि से यह आत्मा के भीत्तर छिपे प्रकाश को पहचानने और नकारात्मकता पर विजय पाने का समय है। सामाजिक दृष्टि से यह सामूहिक उत्सव, मेल मिलाप और सकारात्मकता फैलाने का पर्व है। राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में यह संकेत करता है कि जनता अंधकार (भ्रष्टाचार, अव्यवस्था, अन्याय) से मुक्ति चाहती है और उजाले । आशा, व्यवस्था, विकास) की ओर कदम बढ़ाती है।
गोवर्धन पूजा – “प्रकृति और संरक्षण का संदेश”
गोवर्धन पूजा का संबंध श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाकर प्रजा को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने की कथा से है। आध्यात्मिक रूप से यह पर्व बत्ताता है कि प्रकृति का संरक्षण ही हमारी रक्षा है। यह जनता और नेतृत्व के बीच विश्वास और सहयोग की भावना की भी दर्शाता है। इसका राजनीतिक संकेत यही दर्शाता है कि जनता उस नेतृत्व को प्राथमिकता दे सकती है जो सुरक्षा, विकास और संकट में साथ देने की क्षमता दिखाए।
भैया दूज “संबंधों में विश्वास और सुरक्षा का भाव”
भैया दूज का पर्व भाई-बहन के आपसी स्नेह और विश्वास का प्रतीक है।
इसमें बहन भाई की रक्षा के लिए प्रार्थना करती है और भाई उसका स्नेह और सुरक्षा सुनिश्चित करता है। इसका आध्यात्मिक रूप संरक्षण, विशस और सामाजिक एकता का संदेश देता है। यदि हम इसको राजनीतिक दृष्टिकोण यह संकेत है कि जनता ऐसे नेतृत्व को चुनना चाहती है जिस पर उसे भरोसा ही जी परिवार की तरह उसका साथ दे। त्योहारों का यह मौसम सिर्फ खुशियों का नहीं, बल्कि जनमानस के मूड को भी उजागर करता है। दीपावली के समय लोगों में आशा और परिवर्तन की भावना प्रबल रहती है यह चुनावी दिशा को प्रभावित कर सकती है। आशा बनाम असंतोष अगर जनता वर्तमान व्यवस्था से संतुष्ट है ती प्रकाश का यह पर्व स्थिरता को बढ़ावा दे सकत्ता है, अन्यथा परिवर्तन की चाह को। युवा और किसान वर्ग-गोवर्धन पूजा के सन्देश की तरह, ग्रामीण और कृषक समाज उस नेतृत्व को प्राथमिकता देगा जो उनकी सुरक्षा, सुविधा और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करे। विश्वास का समीकरण- भैया दूज के भाव के अनुरूप, मतदाता उस दल को ताकत दे सकता है जिस पर उसे दीर्घकालीन भरोसा हो। त्योहारों में राजनीतिक माहौल दीपावली के समय चुनाव प्रचार में भावनात्मक अपील और ‘नयी शुरुआत’ का नारा अक्सर जनता को प्रभावित करता है। इसलिए संभावना यह है कि यह चुनाव जनभावना और नेतृत्व में भरोसे के संतुलन पर टिका होगा। कोई भी दल तभी बढ़त ले सकेंगा जब वह आशा, सुरक्षा और विश्वास- इन तीनों मूल भावों को जनता के सामने विश्वसनीय रूप में प्रस्तुत करेगा। “दीपों का यह पर्व हर घर में उजाला लाए, गोवर्धन पर्व हमारी धरती और जनता की रक्षा का संकल्प जगाए, और भैया दूज का स्नेह हमारे समाज में एकता और विश्वास को मजबूत बनाए।”
देशवासियों को दीपावली, गोवर्धन पूजा और भैया दूज की हार्दिक शुभकामनाएं। विहार सहित पूरे देश में लोकतंत्र के दीप सदा उज्ज्वल रहें यही कामना है।
16 अक्टूबर, 2025
मनमोहन शर्मा ‘शरण’ संपादक
अंधकार से प्रकाश की ओर : मनमोहन शर्मा ‘शरण’
