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जा रहा है कोरोना

जा रहा है कोरोना लेकर कितनों की जान

कितनों की बर्बादी ,कितनों का ईमान

इतिहास गवाही देगा, उनकी तबाही की

गूंजती है जिनके रोने की आवाज

खुलने लगे हैं बाजार

होने लगी है चहल पहल

सुनाई देने लगी गानो की आवाज,पर

गूंजती है उनके रोने की आवाज

छिन गई है जिनके घरों में रोटियां

बुझ गया है जिनके घर का चिराग

सूना है घर का आंगन मुखिया के बिना

गूंजती है उनके रोने की आवाज

दौड़ रही हैं सड़कों पर कारें

संगीत की धुन और ऐसी में बंद लोग

सुकून से जा रहे हैं अपनों से मिलने

गूंजती है जिनके रोने की आवाज

नहीं रहे ढेरों हुनर,योग्यता रखने वाले

डॉक्टर, रिपोर्टर, लेखक पंडित

साधु सन्यासी , सीधे सच्चे लोग

गूंजती है जिनके रोने की आवाज

दुनिया की रफ्तार प्रारंभ हो गई है

सब पहले जैसा हो रहा है सामान्य

फिर शुरू होगी होड़, ईर्षा, द्वेश,दुश्मनी

भूल जाएंगे , उनके की रोने की आवाज

              मीना गोदरे,अवनि

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