Latest Updates

शब्द आज मौन है

हाहाकार करती धरा, चीत्कार करने लगा है गगन

कैसे करूँ नमन उनको, जो कर गए न्योछवर तन

अद्भुद सा संयोग है, क्या विचित्र सा योग है

खुद को पीड़ित कहते है, पर औरो को पीड़ा देते है

पीड़ित हो शोषित हो तो मेहनत को हथियार बना लो

किसने तुमको रोका है, अपना जीवन आप बना लो

पर हाय निष्ठुर नराधमों, इतने हथियार कहा से लाते हो

किसने चाबी भरी तुम्हारी जो अपनों पर ही चलाते हो

तनिक लाज नहीं आती तुमको करके ऐसे काम

अब दूर नहीं वो दिन, जब होगा श्री राम जय राम जय जय राम

प्रकृति के न्याय से पापी ज्यादा दिन नहीं बच पाते है

रावण कंस सा होगा हाल, ये आज तुम्हे बताते है

अम्बरीश श्रीवास्तव

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *