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उजालो की चमक में ,चमचमाना जानते हैं सब

उजालो की चमक में ,चमचमाना जानते हैं सब ,

अंधेरो में चमकता है, उसी को जुगनू कहते हैं !

सुगम हो मार्ग, तो फिर हौसलो की बात क्या करना ,

विषमताओ में जीदारी, पथिक की तोला करते हैं !

गगन भर चांदनी हो तो, भला तारो की क्या कीमत ,

अमावस रात में, तारों को सब ही खोजा करते हैं !

रखा है हौसला जिसने, वही जीता रहा वर्ना ,

वहम को पालने वाले, सफर में खोया करते हैं !

विभीषण बन गए हो तो, कलंकित निश्चय ही होंगे ,

अगर बनना है रघुवर तो ,महल भी छोड़ा करते हैं!

अगर है आदमी, तो आदमी का दुख भी बांटा कर ,

फकत खुद के लिए तो जानवर भी रोया करते हैं!

कही इक बात पापा की, याद आती है अक्सर ही ,

दिखावे के लिए बेटा, ना खुद को खोया करते हैं !

—अरुण शर्मा—

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