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‘योग और अध्यात्म”‘

‘योग और अध्यात्म”‘

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क्या देता संसार है हमको लोभ बताता है

कीमत स्वयं की क्या है हमको योग बताता।

सांसारिक दुखों से ना अस्तित्व बिगड़ता है

बेशकीमती कितने तुम अध्यात्म बताता है।

क्यों शालीनता है शब्दों में योग बताता है

क्यों सभ्य भिखारी जितना राजा योग बताता है।

क्यों  शिष्टाचार है उत्तर में अध्यात्म बताता है

क्यों विश्वामित्र का विश्व मित्र अध्यात्म बताता है।

क्यों प्रकृति है रक्षक अपनी योग बताता है

क्यों कृष्ण सुदामा है प्यारे योग बताता है।

क्यों लोभ समर्पण का हो अध्यात्म सिखाता है

क्यों मीरा कृष्ण दीवानी थी अध्यात्म सिखाता है।

कैसे होता मन पवित्र योग सिखाता है

दोषों को मन के हमारे योग भगाता है।

क्यों सत्कर्म लुभाते हैं अध्यात्म बताता है

कैसे प्रार्थना में बल आए अध्यात्म सिखाता है।

आशु गुप्ता

ग्राम रजमना शाहजहांपुर

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