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कबीरा खड़ा बाज़ार में ………..

 देश में आपसी सद्भाव का मौसम बनता बिगड़ता रहा है । इन सबके बीच दिल्ली से भाजपा नेता बग्गा की गिरफ्तारी , शाहीन बाग से बुलडोजर की बिना एक्शन वापिस लौटना , कांग्रेस का पत्थरबाजो का हिमायती होना और ताजमहल का भी ऑपरेशन कराने के खबर के बीच अब राजनीति ज्ञानवापी और मथुरा की तरफ मुड़ चुकी है । कई कौमी माफियायों के विधासभा चुनाव 2022 जीतने का केवल एक अर्थ है कि इनका धर्म के नाम पर खुला समर्थन हुआ होगा, अर्थात इनकी कौम ने देश  और विकास  को ताक पर रखकर वोट किया होगा जबकि कायदे से देखा जाय तो वोट केवल और केवल राष्ट्रवाद , विकास और रोजगार के नाम पर होना चाहिए था ,तो मतलब ऐसे धार्मिक कट्टरवाद को जीताकर क्या एक विशेष संप्रदाय ने भाजपा को और मजबूत होने का अवसर नहीं दे दिया है । निश्चित रूप से देश का हिंदू अब फिर जरूर सोचेगा कि सुरेश राणा , संगीत सिंह सोम , म्रगांका सिंह ( हुकुम सिंह जी की पुत्री )  ये सब वहीं लोग है जिन्होंने सहारनपुर दंगों के समय दंगाईयों के खिलाफ आवाज उठाई और हिन्दूओं के पक्ष में मजबूती से खड़े रहने के कारण चर्चित हुए किंतु चुनाव हार गए जबकि इन्हे  अखिलेश सरकार के समय जेल में महीनों रहना पड़ा ये जो आज सभी चुनाव हार गए सो तो ठीक किंतु दूसरी तरफ दंगाईयों के सरपरस्त आजम खां खुद अपने बेटे को और मुख्तार जेल में रहकर अपने बेटे को जिताने में सफल रहा।  कैराना का गुंड़ा नाहिद हसन  जेल से स्वयं जीतने मे सफल रहा, तो क्या ऐसे में अब फिर से मोदी एंड कंपनी जल्द ही आ रहे लोकसभा चुनाव में हिंदुओं को एकजुट करके बड़ी जीत हासिल करने में सफलता पा लेंगे । यूपी में भाजपा आयेगी इसपर केवल उन्हे ही संदेह था जिन्हे राष्ट्रवाद और हिंदुत्व पर विश्वास नहीं था ।  हां वो बात अलग है  कि इस बात की भविष्यवाणी नहीं की जा सकी सपा बहुमत के साथ आ जायेगी की नही  और ना ही ये भविष्यवाणी, कि सपा ही आयेगी लेकिन फिर भी पता था कि भाजपा तब आएगी जब हिंदुत्व के नाम पर मथुरा और अयोध्या के मुद्दे पर चुनाव  लड़ा जाना था । भाजपा के जीता का  कारण था कि पिछले करीब दो साल से लॉकडाउन के कारण पूरे उत्तर प्रदेश फ्री राशन बांटा जा रहा था जिसमें चावल,नमक, रिफाइंड आदि सामान था और गोबर पट्टी कहे जाने वाले लोगों के लिए ये अमृत के समान था ,कोई माने या ना माने लेकिन मैंने खुद बहुत से लोगों से बात की तो वो यही कह रहे थे कि हम जैसे गरीब लोगों को मोदी- योगी जी फ्री राशन बांट रहे हैं, कोई और सरकार होती तो हम भूखे ही मरे जाते जब मैंने ये पूछा कि लॉकडाउन में लोग पैदल चल-चल कर अपने घर पहुंचे,यहां तक कि बहुत से लोग मर भी गए तो लोगों ने कहा वो तो हर देश में लॉकडाउन था और हर जगह यही हाल थे और अकेले मोदी जी क्या क्या करेंगे और अगर उनकी वजह से हम पैदल चलने को मजबूर हुए तो आज फ्री राशन भी तो वही बांट रहे हैं फिर मैंने महंगाई की बात की तो लोगों ने कहा कि आप ही देख लीजिए इतनी महंगाई है फिर भी मोदी जी फ्री राशन बांट रहे हैं । ये तो हुई फ्री राशन की बात अब बात करते हैं लॉकडाउन के दौरान जब यूपी में सभी स्कूल बंद थे तो उस दौरान स्कूलों में जो एमडीएम(मतलब मध्यान्ह भोजन) बनता है वो भी बनाना बन्द था यहां योगी जी ने और उनके अधिकारियों ने बहुत सही दिमाग लगाया और एक आदेश जारी किया कि लॉकडाउन की अवधि में जितने दिन स्कूल बंद थे उतने दिन के एमडीएम का पैसा सीधा बच्चों के अभिभावकों के खातों में जायेगा,इस हिसाब से प्राइमरी के बच्चों को करीब 1500 और अपर प्राइमरी के बच्चों को करीब दो हजार रुपये प्राप्त हुए और प्राइमरी स्कूलों में लाखों बच्चे पढ़ने के लिए जाते हैं और इस आदेश के बाद पहले के मुकाबले यूपी के सरकारी स्कूलों में बच्चों बीके ज़्यादा एडमिशन हुए कारण वही कि गोबर पट्टी वालों को फ्री का पैसा चाहिए । अब तीसरी बात,हर साल उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से प्राइमरी के बच्चों को फ्री ड्रेस,जूते,मौजे,बैग, स्वेटर दिया जाता था लेकिन इस साल योगी सरकार ने ये व्यवस्था खत्म करते हुए ड्रेस,जूते मौजे आदि के पैसे भी बच्चों के अभिभावकों के खातों में सीधे भेजे,जिससे कि लोगों में ये संदेश गया कि हमारे मुख्यमंत्री जी हमें सीधा पैसा भेज रहे हैं ताकि कोई किसी तरह की घपले बाजी ना कर सके,वो बात और है कि भेजे गए पैसे काफी कम थे लेकिन फ्री का पैसा किसे बुरा लगता है । चौथी बात ये कि सरकार की एक योजना जिसमे लोगों को मकान बनाने के लिए पैसा दिया गया जिससे काफी लोगों ने अपने मकान बनवाये कहने को इस योजना में घोटाला भी बहुत हुआ लेकिन फिर भी बहुत से लोगों ने अपने मकान भी बनवाए । इस योजना में लोगों को करीब ढाई लाख रुपए सीधे उनके खातों में दिया गया इससे भी ये संदेश गया कि मोदी- योगी जी की वजह से हमारे घर बन सके और आज हम पक्के घरों में रह रहे हैं ।पाँच राज्यों में मतदान पूरा हो चुका है। 10 मार्च को नतीजे आ गए और पांच में से चार राज्य निकाल ले गए । बीते कल उत्तरप्रदेश में कुछ जगहों पर ईवीएम या पोस्टल बैलेट इधर उधर पाये जाने को लेकर एक शोर उठा और सम्पूर्ण निर्वाचन प्रक्रिया की निष्पक्षता पर एक बार फिर संदेह के बादल मंडराने लगे।यहां पर मैं ईवीएम और निर्वाचन प्रक्रिया पर संदेह करने से सहमत नहीं हूं। जहां किसान कुचल दिए गए वहा भी बीजेपी जीत गई ऐसा मानना है राजनीतिक विश्लेषकों की । जातिवादी नेता चंद्रशेखर की गोरखपुर में जमानत जब्त हो गई थी । कोई लॉजिक कोई तर्क नहीं हिंदुत्व ही एकमात्र कारण है। जिनको दिमाग लगाना है लगाते रहें ।मायावती का सारा वोट बीजेपी को गया है ऐसा मानना है चुनावी पंडितों का  । जातिवाद के खत्म होते ही  बीएसपी खत्म हो गई  ,केवल 1 सीट यहाँ तक कोंग्रेस की 2 सीट मिली  । योगी ने विजय भाषण के बाद लगाए जय श्री राम के नारे ,हिंदुत्व की जीत अर्थात धर्म की राजनीति शुरू  । गलत सही कुछ नहीं हिंदुत्व की जीत हो गई है और बीजेपी ने कभी छिपाया नही है बीजेपी के नेताओं ने हिंदुत्व उनका मुख्य मुद्दा है। बीजेपी को बधाई जीत की लोकतंत्र में बहुमत को सर झुका कर स्वीकार कर लिया ।विपक्ष को सोचना होगा वो हिंदुत्व का मुकाबला क्यों नही कर पाए । गरीब एक नई जाति है जो मोदी का वोट बैंक है जाति धर्म से ऊपर ये तय कर दिया है 2022 ने अखिलेश कुछ इससे ज्यादा नहीं कर सकते थे जिस रण नीति से वो चल रहे थे जब ध्रुवीकरण मुस्लिम का अखिलेश कर रहे थे तो फिर हिन्दू का होना ही था ये खतरा इस रणनीति में था और वही हुआ हिन्दू बीजेपी की तरफ चला गया । अगर हिन्दू महंगाई नौकरी धार्मिक सौहार्द की बात सोचता तो ही अखिलेश को फायदा होता पर ये इसलिए नहीं हुआ क्योकि अखिलेश यादव की छवि परिवारवाद मुस्लिम समर्थक और गुंडागर्दी का बैगेज है उनके साथ जिसे बीजेपी ने अपने समर्थको को समझाया और भक्त समर्थकों ने भरोसा किया। किसान बेरोजगार महंगाई धार्मिक सौहार्द शिक्षा आदि सारे रियल मुद्दे धर्म के आगे धता हो गए है ।

पंकज कुमार मिश्रा एडिटोरियल कॉलमिस्ट शिक्षक एवं पत्रकार केराकत जौनपुर ।

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