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डिजिटल क्रांति की तैयारी को बजट ने दिया आकार, सभी वर्गों को डिजिटल धागे में पिरोने से होंगे ये फायदे

आम बजट 2022-23 में डिजिटल सबसे ऊपर है और सब में शामिल है। इकोनमी और सामाजिक ढांचे के सभी वर्गों को एक साथ डिजिटल धागे में पिरोने की घोषणाएं करके साफ कर दिया गया है कि चौथी औद्योगिक क्रांति में भारत पिछलग्गू बनकर नहीं रहेगा। माना जाता है कि औद्योगिक क्रांति की शुरुआत डिजिटल इकोनमी के तौर पर हो चुकी है। जो देश अपनी इकोनमी में डिजिटल तकनीक पर भरोसा करेगा, वह उतना ही विकास करेगा।

प्रदूषण से निजात दिलाने में मिलेगी मदद

ये घोषणाएं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ से वर्ष 2070 तक भारत को प्रदूषण रहित देश बनाने के लक्ष्य को हासिल करने में सबसे अहम योगदान देंगी। इसी लिहाज से बजट में सरकार ने स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण विकास, आवागमन, ईंधन और बैंकिंग जैसे सेक्टरों को ज्यादा डिजिटल केंद्रित बनाने की घोषणा की है।

डिजिटल इंडिया को मिलेगी ताकत

प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2015 में डिजिटल इंडिया की शुरुआत की थी। बैंकिंग से लेकर सरकारी सुविधाओं को सीधे लाभार्थियों के खाते में डालने जैसी सहूलियत इसी से संभव हो सकी हैं। अब जबकि देश की तकरीबन आधी आबादी के पास इंटरनेट वाला स्मार्ट फोन पहुंच चुका है तो सरकार की तरफ से बजट में की गई घोषणा डिजिटल इंडिया प्रोग्राम को और तेज करने का माद्दा रखती हैं।

विकसित देशों की कतार में होगा भारत

वनस्कोर एंड वनकार्ज कंपनी के सीईओ अनुराग सिन्हा का कहना है कि डिजिटल ढांचे पर फोकस करने से भारत विकसित देशों की कतार में खड़ा होने की क्षमता रखता है। हर सेक्टर में डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने से पूरी प्रशासनिक व्यवस्था पारदर्शी बनेगी।

डिजिटल इकोनमी पर फोकस

मोतीलाल ओसवाल का अध्ययन कहता है कि जितना ज्यादा डिजिटल इकोनमी पर फोकस होगा, उतनी ही ज्यादा सेवाओं को आम जनता तक पहुंचाने में आसानी होगी। एमके ग्लोबल सर्विसेज के एमडी के.के. करवा का मानना है कि कृषि क्षेत्र में ड्रोन का उपयोग या जमीन से जुड़े कागजात को डिजिटल व्यवस्था में शामिल करना बताता है कि भारत डिजिटल क्रांति के नए दौर में प्रवेश कर रहा है।

नई ऊर्जा का निर्यातक बनेगा भारत

तकनीक और डिजिटल व्यवस्था पर इस तरह की घोषणा भारत के ऊर्जा सेक्टर के बदलते स्वरूप के भी मुताबिक है। बिजली मंत्री आरके सिंह ने बताया कि सरकार की मंशा नई ऊर्जा (न्यू एनर्जी) में देश को एक निर्यातक के तौर पर स्थापित करने की है। सौर ऊर्जा से जुड़े क्षेत्र को लेकर की गई घोषणाएं इस संबंध में निर्णायक भूमिका निभाएंगी।

आयातित सोलर माडयूल्स पर आयात शुल्क को 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत करने की घोषणा इसी रणनीति का हिस्सा है। इसके साथ ही देश में सौर ऊर्जा से जुड़े तमाम उपकरणों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए 19,500 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना का एलान किया है। एनर्जी स्टोरेज को ढांचागत उद्योग का दर्जा देना भी बहुत असर करेगा।

सस्ता कर्ज मिलने का रास्ता साफ होगा

इससे बड़ी कंपनियों को सस्ता कर्ज मिलने का रास्ता साफ होगा। पहले ही अदाणी और रिलायंस जैसी कंपनियां इस सेक्टर में शोध एवं विकास पर भारी भरकम राशि खर्च करने का एलान कर चुकी हैं। सरकार की घोषणा नए तकनीक आधारित उद्यमियों को खास तौर पर सहूलियत प्रदान करेगी। दरअसल, यही कुछ सेक्टर अब वैश्विक स्तर पर राज करने वाले हैं और भारत इस दौड़ में आगे रहना चाहता है। 

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