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संविधान संशोधन का क्या फायदा जब कानून बनाने वाले अयोग्य और स्वार्थ से भरे हों।।
समावेशी नेतृत्व का अर्थ बड़ा ही व्यापक और संधर्ष करने वाला होता है, जो संयम, धैर्य सहनशीलता के साथ सबको समान भावना के साथ समावेश कर आगे बढ़ने को प्रेरित करे।जो खुद की नहीं अपितु अपने संगठन अपने लोगो के आगे बढाने की सोच रखे वही नेतृत्व कहलाता है। सभी को समान अवसर मिले, सभी…
भारत के सांस्कृतिक पुनरूत्थान के विश्वकर्मा हैं नरेन्द्र मोदी
यह सुखद संयोग है कि आज देवशिल्पी भगवान विश्वकर्मा जी व राष्ट्रशिल्पी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का जन्मदिन एक साथ है। पिछले वर्ष प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात में अपने संबोधन में कहा था कि हुनरमंद ही आज के युग के विश्वकर्मा हैं। प्रधानमंत्री स्वयं भी इसी दायरे में आते हैं। भगवान विश्वकर्मा ने…
पंच से पक्षकार
हरिप्रसाद और रामप्रसाद दोनों सगे भाई थे। उम्र के आखिरी पड़ाव तक दोनों के रिश्ते ठीक-ठाक थे। दोनों ने आपसी सहमति से रामनगर चौराहे वाली अपनी पैतृक जमीन पर दुकान बनाने का सोचा, ताकि उससे जो आय हो उससे उनका जीवन सुचारू रूप से चल सके। दुकान का काम चल ही रहा था…
हिंदी भाषा भूषण की मानद उपाधि मिली.. उर्मिला को
छत्तीसगढ की साहित्यकार उर्मिला देवी उर्मि को हिंदी भाषा की अनुपम सेवा के लिए देश की प्रतिष्ठित संस्था.. साहित्य मंडल नाथद्वारा राजस्थान.. द्वारा हिंदी भाषा भूषण की उपाधि से विभूषित किया गया है ।हिंदी पखवाडे के अवसर पर संस्था द्वारा 14 से 16 सितं. 22 तक .. हिंदी लाओ,देश बचाओ.. शीर्षक से आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी…
संपादक मनमोहन शर्मा ‘शरण
को मिला ‘संपादक रत्न सम्मान’
साहित्य जगत में अपनी अनुपम अनूठी एवं गौरवमयी उपस्थिति दर्ज कराता विश्व विख्यात संस्थान ‘साहित्य मण्डल श्रीनाथद्वारा’ द्वारा 3 दिवसीय आयोजन ‘हिंदी लाओ देश बचाओ’ में देश के विभिन्न क्षेत्रों से पधारे साहित्य प्रेमियों, पत्रकार–संपादक, समाजसेवियों का मिलन हुआ जिसमें उत्कृष्ट साहित्य सृजन हेतु साहित्यकारों को तथा संपादन क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने पर संपादक…
हमारी गुरु- शिष्य परम्परा
कष्ण पक्ष को पार कर पूर्ण चंद्र हमें प्रेरणा देता है पूर्णता की। पंद्रह दिवस की कटाई -छटाई के उपरांत जो पूर्ण रूप उसे पूर्णिमा को मिलता है वह द्योतक है उसकी अविराम साधना का।शायद इसीलिए वर्ष की बारहों पूर्णिमा अपने आप में समृद्ध हैं,किसी ना किसी सांस्कृतिक सौष्ठव से। श्रावणी पूर्णिमा रक्षाबंधन का पर्व…
जब रिश्ते हैं टूटते, होते विफल विधान। गुरुवर तब सम्बल बने, होते बड़े महान।।
बच्चों के विकास में, शिक्षकों की आदर्श भूमिका सही मूल्यों और गुणों के प्रवर्तक और प्रेरक की होनी चाहिए। इस प्रकार, छात्रों को ज्ञान सीधे चम्मच खिलाने के बजाय, उन्हें बच्चों में पूछताछ, तर्कसंगतता की भावना विकसित करने का प्रयास करना चाहिए, ताकि वे अपने दम पर, जुनून के साथ सीखने के लिए सशक्त महसूस…
मौन मैं और मेरे शब्द हो जाओ तुम : नमिता नमन
मौन मैं और मेरे शब्द हो जाओ तुम प्रीति का एक प्रारब्ध हो जाओ तुम एक पावन शिला मन अहिल्या सा था तुम मुझे राम जैसी छुअन से मिले मुझको आकार साकार तुमसे मिला जैसे मीरा की भक्ति को मोहन मिले सूक्ष्मतम मैं रहूं श्रेष्ठतम तुम रहो प्राण तक मेरे प्रतिबद्ध हो जाओ तुम…
व्यंग्य – जात न पूछिए नेता की…!
जीवन में कोई कब कोई नेता किस धर्म जाति संप्रदाय का हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता । आजकल के ट्रेंड में हर संप्रदाय का अपना रूल रेगुलेशन है । किसी को डॉगगिरी पसंद है तो किसी को घाघगिरी । अपने पलटूराम भैया को ही ले लीजिए ताजा ताजा मीम समर्थक बने थे और…
डी. एम. का चश्मा
राजनीतिक सफरनामा : कुशलेन्द्र श्रीवास्तव उत्तर प्रदेश में बंदर डी.एम. साहब का चश्मा लेकर भाग गया । बंदर नहीं जानता डी. एम. साहब के रूतबे को । उसे तो सारे मानुष एक जैसे ही नजर आते हैं । उसने डी. एम. साहब का चश्मा देखा और छीन कर भाग गया । हो सकता है कि…